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कायस्थ क्षत्रिय या ब्राह्मण

कायस्थ भारत में रहने वाले सवर्ण हिन्दू समुदाय की एक जाति है। गुप्तकाल के दौरान कायस्थ नाम की एक उपजाति का उद्भव हुआ। पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं।हिंदू धर्म की मान्यता है कि कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी की संतान हैं तथा देवता कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें …

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उड़ीसा में कर्ण कायस्थ

उड़ीसा के कायस्थ परिवारों को कर्ण परिवार कहा जाता है। अब तक उड़ीसा के कायस्थों पर ऐसी कोइ पुस्तक नहीं लिखी गइ जिससे यह पता चल सके कि इन्हें केवल ‘कर्ण’ के नाम से ही क्यों जाना जाता है। उड़ीसा के कर्ण समाज की निम्नलिखित पदवियाँ\उपाधियाँ हैं – पटनायक, महान्ति, कानूनगो, दास आदि। महान्ति, दास, …

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कायस्थ – एक कहानी एक सत्य

ये पोस्ट मुझे एक बुजुर्ग चित्रांश ने भेजा है कृपया जरूर पढ़े और अपना मत जरूर लिखे। किसी मेले में एक स्टाल लगा था जिस पर लिखा था , बुद्धि विक्रय केंद्र ” ! लोगो की भीड उस स्टाल पर लगी थी ! मै भी पहुंचा तो देखा कि उस स्टाल पर अलग अलग शीशे …

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कायस्थ का ऐतिहासिक स्थिति

कायस्थों की सामाजिक स्थिति आज भी प्रभावशाली है I इनकी मेधा, बुद्धि की क्षमता, शासन करने के गुण व आभिजात्य आज भी उल्लेखनीय हैं I वर्णव्यवस्था के चारो वर्णों में स्थान न पाने के बावजूद प्राचीन काल (ई पू 600 बी सी से ई सन् 1206) में समाज में कायस्थों की स्थिति बहुत सम्मानजनक थी …

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भगवान चित्रगुप्त का प्रादुर्भाव

पुराणों के आधार पर हमने ऐसा माना है कि प्रत्येक युग के अंत में एक-एक अवतार ऐसे समय में होता है जब संसार का और विषेष रुप से देवताओं का कार्य सुचारु रुप से नहीं चलता और उनके कार्य में लगातार विध्न बाधायें पड़ने लगती हैं तथा उनको कोर्इ भी मार्ग दिखार्इ नहीं देता है …

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श्री चित्रगुप्त महाराज की कथा

पितामह भीष्म से युधिष्ठर जी बोले आपकी कृपा से मैंने धर्मशास्त्र सुने। ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य और विशेषकर शूद्रों के सब धर्म आपने कहे। तीर्थ यात्रा विधि कही तथा मास नक्षत्र, तिथि वारों के जो व्रत आपने कहे उनमें यम दिव्तीया का क्या पुण्य है? और यह व्रत किस समय कैसे हो, यह मैं आपसे सुनना …

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बिहारी कायस्थ और उनका योगदान

कायस्थों की उत्पत्ति के विषय में अनेकों लेख प्रकाशित हो चुके हैं तथा पौराणिक व ऐतिहासिक दोनों ही द्रष्टियों से वे उच्च वर्ग के अन्तर्गत माने गये हैं। देश के अन्य भू-भागों की भांति बिहार में भी इनका इतिहास काफी पुराना है। याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार वे र्इसापूर्व तीसरी शताब्दी में ही अपना विशिष्ट स्थान …

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चित्रगुप्त के पुत्र एवं नागवंश का सम्बन्ध

भगवान चित्रगुप्त की दो शादियाँ हुईं,जिनसे 12 पुत्र थे और पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है,उनकी पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा/नंदनी जो ब्राह्मण कन्या थी, इनसे 4 पुत्र हुए जो भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू कहलाए। दूसरी पत्नी एरावती/शोभावति नागवन्शी क्षत्रिय कन्या थी, …

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कायस्थ जाति पर माननीय न्यायालयों के निर्णय

बनारस के राजा के आग्रह पर पूना, बंगाल, काशी, अवध, मथुरा, जम्मू-कश्मीर एवं बम्बई के विद्वान पंडितों ने यह व्यवस्था दी थी कि कायस्थ जाति क्षत्रिय वर्ण के अन्तर्गत आती है। उसी प्रकार विभिन्न न्यायलयों के निर्णयों में भी कायस्थों को क्षत्रिय माना गया है। यद्यपि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 1884 ई0 के राजकुमार लाल …

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